पथिक हूं इस धरा पर, एक सार्थक यात्रा करनी है। न थकना है न रुकना है, हर हाल में आगे बढ़ना है। सत्य प्रकृति दृढ़ निश्चय से, प्रभु से क्षितिज पर जा मिलना है।
न पाप है, न पुण्य। बस ध्वनि की प्रतिध्वनि है। दूसरो के लिए जो नियम है उसी से खुद का भी न्याय होगा।