डॉ. अरुण कुमार निषाद
Literary Captain
8
Posts
2
Followers
0
Following

स्वतन्त्र लेखन

Share with friends
Earned badges
See all

वह डगर आज भी है तेरे नाम से जानी जाती, जिस पर कभी तू मेरे साथ थी आती -जाती। आज भी ढूंढता हूं तेरे पैरों के निशां उन पर, जिन 'अरुण'पर तू चलती थी बलखाती।। © डॉ. अरुण निषाद


Feed

Library

Write

Notification
Profile