Samreen Sheikh
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कितना कुछ कर जाते हो फिर भी वो करते सबर है माँ बाप के रोने की आवाज़ से औलाद आज भी बेखबर है

जो मेरे रोने में नहीं वो हंसी में क्या होगा जो मेरे गम में नहीं वो ख़ुशी में क्या होगा

I always wonder Why do i write, I write so that you can hear Accepting me with all my fears, It's For you IIndite I Write Because I Love To Write.

I' am Perfect in My Imperfections, I'am Happy In My Pain, Strong In My Weaknesses And Beautiful in my Own Way, Because I ' am me.

बांधो तो बन सकती है बढ़ी से बढ़ी गोठली तोड़ने से न टूटे जो वो है रिश्तो की पोटली !

न जाने किस बात से मै बेखबर रहा एक उसकी आरज़ू में पढ़ा मेरा बसर रहा नहीं जनता मै कब और किधर रहा वाकिफ तो बेवफाई से उसकी मगर रहा कसूर उनका नहीं मेरा था जो अनजान मेरा सफर रहा !

कितना कुछ एक पल में दे जाते है लोग वक़्त क्या बदला मौसम की तरह बदल जाते है लोग

ज़माने के तानो से अब फ़र्क़ नहीं पड़ता एक उसके बदल जाने से अब फ़र्क़ नहीं पड़ता माना वो नज़र मिलाया करते थे कभी मगर अब उनके नज़र चुराने से कोई फ़र्क़ नहीं पढता

क्यों खुदगर्ज़ निकला तू, अपनी ही तन्हाई से, डर लगता है साहब अपनी ही परछाई से !


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