मां कहती: सहनशक्ति में है बहुत शक्ति, बड़ी-बड़ी मुसीबतों का निवारण है इसमें, थोड़ा चुप भी रहो, थोड़ा सुनो भी, धीरज धरो! मैं कहती: 'सहना' रहा होगा लड़कियों का गहना, अब बदल गया है संसार सारा, क्या अब भी वही विचार पुराना! -स्नेहिल
हम औरतें भी अजीब है ना! एक दूसरे को सांत्वना देने की कोशिश करती हैं कि 'मर्द तो ऐसे ही होते हैं', 'उनकी तो आदत ही ऐसी है', 'धैर्य सबसे बड़ी चीज़ है', 'समय आयेगा तो सब ठीक हो जाएगा' और इस क्रम में न जाने कितने ही सपने, ख्वाहिशें, अधिकारों से खुद को वंचित कर लेती हैं जिनकी हम अमूमन हकदार हैं। -स्नेहिल