कवि और लेखक, भोपाल में रहते हैं। बच्चों की शिक्षा के लिए विगत दस वर्षों से लेखन कर रहे हैं।
न महसूस हुए कभी, न अहसास बने कभी, तुम मेरे तो थे मगर मुख़्तसर से। न महसूस हुए कभी, न अहसास बने कभी, तुम मेरे तो थे मगर मुख़्तसर से।
वीराना सा कर गई सारा घर। वीराना सा कर गई सारा घर।