तेरे तससवुर से ही इतने बेताब हैं सोच तेरे रूबरू होने का आलम क्या होगा खुदा भी क्या चीज़ है ख़ुद अज़ीज़ रहने के लिए तुझे क़रीब होने नहीं
किसी को देखकर सुनकर आई प्रेरणा चंद पल रहती है लेकिन ख़ुद के अंदर से आई प्रेरणा की आवाज़ एक मुक़ाम तक पहुँचाने के बाद भी ज़िंदा रहती है
बारिश जब भी आती है साथ ढेरों क़िस्से लाती है किसी के लिए मिलन का मौसम है तो किसी को जुदाई की याद दिलाती है
ज़िंदगी यादों का सिलसिला है जिसमें हर इन्सान सिमटा हुआ है आज का वक़्त कल के लिए याद होगा तो हम पर है बुरी या अच्छी यादें बुनना
हाँ मेरे पापा मुझे अकेले कही जाने नहीं देते फ़िकर ही है मेरी कोई बहाने नहीं होते अरे क्यों कि मेरे अलावा उनके दिल के कही ठिकाने नहीं होते
हाँ मेरे पापा मुझे अकेले कही जाने नहीं देते फ़िकर थोड़ी ज़्यादा है कोई बहाने नहीं होते अरे बेसमझ क्यों कि मेरे दिल के अलावा उनके कोई ठिकाने नहीं होते..
अलविदा कहने भर से कोई जुदा नहीं होता दिल मे बसी यादो का खत्म नही सिलसिला होता विदाई किसी की भी हो सही.नहीं जाती रुसवाई बिना मजबूरी के की नही जाती
टूटा है दिल हमारा भी पर ग़म छिपा लिया करते है मुस्कुराते है इस क़दर कि लोग हमें ख़ुशनुमा समझते है मिलना और बिछड़ना हांथ में इंसान के होता तो शमशान का नामोनिशान न होता