हिंंदी साहित्य सेवी, सामाजिक कार्यकर्ता, युवा वक्ता ,कवि , शायर, लेखक, मोटिवेशनल स्पीकर सह भारतीय संस्कृति के हिमायती स्वतंत्र गांधीवादी विचारक एवं अध्येता वर्तमान में हिंदू महाविद्यालय (दिल्ली विश्वविद्यालय )स्नातक हिंदी (प्रतिष्ठा) द्वितीय वर्ष में अध्ययनरत ❣️🖊📜🎙🇮🇳💐❣️🥰
Share with friendsदो मांओं के स्नेह पूर्ण शब्दों ने इंसान द्वारा खींचे गए सरहद को कितना बौना बना दिया ! ममत्व कंटीली तारों से घिरे बाड़ को लांघ कर दो मुल्क को कितना समीप ला दिया ... सीमा के उस पार और सीमा के इस पार आंखें नम कर देने वाली यह सद्भावनापूर्ण भावाभिव्यक्ति, दोनों माओं के एक- दुसरे के बच्चे के लिए कही गई वह वाक्य है जिनमें दोनों मुल्कों को फिर से करीब लाने की उम्मीदें बची हुई है
तुम्हारी लड़ाई कितना निश्चल होता है ना ! तुम्हारी लड़ाई में सब कुछ होता है, तुम्हारी लड़ाई में क्रोध का अतिरेक नहीं होता ! तुम्हारी लड़ाई में तर्क भी होता है, वेदना भी होती है और उलाहना भी! यही कारण है की हर बार मैं तुम्हारी लड़ाई में पराजित होना ही स्वीकार करता हूं, क्यूंकि इसके सिवा मे
मैं हर वह विषय पर लिखना चाहता हूं, बोलना चाहता हूं , अपना विचार रखना चाहता हूं जिस पर मेरी संवेदनशील दृष्टि पड़ती है! यद्यपि मैं कानूनन अधिकृत नहीं हूं ... फिर भी मैं लिखना चाहता हूं क्योंकि मेरी अंतरआत्मा मुझे अधिकार देती है की अपनी संवेदना को अभिव्यक्त करूं...
देश आज तबाह है बाबाओं के करतूतों से, शह मिल रहा है इन्हें सत्ता के देवदूतों से आदमी की जान की कीमत ही क्या है आज इस मुल्क में, रक्त बह रहा है गिरते शहतूतों से ~अन्वेषी
जब लीक होता है पेपर तो लीक सिर्फ पेपर ही नहीं हो रहा होता है ! लीक हो रहा होता है उस बाप के हाड़ तोड़ मेहनत के खून पसीने की कमाई , उस माँ के जोगाये जेवर जो बड़ी संभाल के रखी थी जो हर साल जितिया के समय ही निकालती है! और लीक हो रहा होता है उस अभ्यर्थी के उम्र और अटेम्पट ! जो मुट्ठी बांधे हथेली में रखे रेत की भांति धीरे-धीरे सब फिसल जाता है, पेपर लीक के साथ ही लीक हो जाता है स्वंय का आत्मविश्वास
जब लीक होता है पेपर तो लीक सिर्फ पेपर ही नहीं हो रहा होता है ! लीक हो रहा होता है उस बाप के हाड़ तोड़ मेहनत के खून पसीने की कमाई , उस माँ के जोगाये जेवर जो बड़ी संभाल के रखी थी जो हर साल जितिया के समय ही निकालती है! और लीक हो रहा होता है उस अभ्यर्थी के उम्र और अटेम्पट ! जो मुट्ठी बांधे हथेली में रखे रेत की भांति धीरे-धीरे सब फिसल जाता है, पेपर लीक के साथ ही लीक हो जाता है स्वंय का आत्मविश्वास
जब होता है पेपर तो लीक सिर्फ पेपर ही नहीं हो रहा होता है ! लीक हो रहा होता है उस बाप के हाड़ तोड़ मेहनत के खून पसीने की कमाई , उस माँ के जोगाये जेवर जो बड़ी संभाल के रखी थी जो हर साल जितिया के समय ही निकालती है! और लीक हो रहा होता है उस अभ्यर्थी के उम्र और अटेम्पट ! जो मुट्ठी बांधे हथेली में रखे रेत की भांति धीरे-धीरे सब फिसल जाता है, पेपर लीक के साथ ही लीक हो जाता है स्वंय का आत्मविश्वास
*वे*,वो नहीं है जो वह दिखते हैं और दिखाते हैं *वे* वो हैं ; जो हैं और हैं! इस हैं और है में जो छुपा हुआ है वे वही हैं ~ अन्वेषी