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चोट खाकर भी रोना वर्जित आंसू जो निकल गए कहा जाएगा, त्रिया चरित्र सोचा था, शिला बनकर, नहीं रोएगी व... चोट खाकर भी रोना वर्जित आंसू जो निकल गए कहा जाएगा, त्रिया चरित्र सोचा था, शिल...
माँ... मुझे सुबह बहुत अच्छी लगती है अनहद नाद सा बज उठा, अंतस में मेरे मंदिर में बज गई, घंटियाँ जैस... माँ... मुझे सुबह बहुत अच्छी लगती है अनहद नाद सा बज उठा, अंतस में मेरे मंदिर मे...