शब्दों के फूलों को भावों के धागों मे पिरोकर..... हम भी स्वयं को कवि समझ बैठे......
आने वाली नस्लों से तुम कैसे नज़र मिला लोगे अभी महज ये एक सपना है आने वाली नस्लों से तुम कैसे नज़र मिला लोगे अभी महज ये एक सपना है