Ruchi Mittal
Literary Colonel
AUTHOR OF THE YEAR 2021 - WINNER

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Teacher by profession and a writer by hobby.

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दिन के प्रखर प्रकाश में रजनी के संत्रास में भोर की अनुपम बेला में सांझ के बढ़ते ग्रास में मेरे मन मस्तिष्क के भीतर उर के हर प्रयास में तेरी ही एक आस है शामिल मेरे हर आभास में @रुचि मित्तल

कर रही कलोल मुझ से ये मेरी तन्हाइयाँ हँस रही है आज मुझपे फिर मेरी परछाइयाँ क्या कहूँ किस से कहूँ कौन समझेगा मुझे बढ़ती जाती है मुझ ही से मेरी ही रुसवाईयाँ। ©रुचि मित्तल

तुम दिया, मैं बाती प्रिय, कहाँ मिलेगा तुम्हें, मुझसा जीवनसाथी प्रिय😉 ...रुचि मित्तल...

जन्म-जन्म का है ये साथ, सामंजस्य,प्यार और विश्वास। एक ही सुर,एक ही भाषा, जीवनसाथी की यही परिभाषा।। ...रुचि मित्तल...

मुझसे मिलना और बिछुड़ना, हो सकती कोई मज़बूरी एक नहीं, दो नहीं “अज़ल" जन्मों के अन्तर की दूरी। ...रुचि मित्तल....

कितने अच्छे थे,वो स्कूल के “सुकून" भरे दिन, इम्तिहान आते थे और खत्म हो जाते थे। ....रुचि मित्तल...

दोनों हाथ उठाकर माँगी थी, “रब" से दुआ। उसने मेरी झोली में बेटी डाल दी। ....रुचि मित्तल...

काश मेरे "सहल लफ़्ज़"...उसके "दिल" पर...ऐसा "असर" करें..... वो मेरे "करीब" आ कर कहें...चलो "जी" भर के..."इश्क" करें..... .....रुचि मित्तल....

सहल ही नहीं हासिल होती,मंजिलें जिंदगी में, झोकनी पड़ती है फकत जिंदगी अपनी भट्टी में... ......रुचि मित्तल....


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