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निकले क्यों चंद पैसों की तलब में घर से, सोच के बस यही अब हम पछता रहे हैं। निकले क्यों चंद पैसों की तलब में घर से, सोच के बस यही अब हम पछता रहे हैं।
दुआ करो जाने अनजाने किसी का दिल ना दुखा हो गर दुःखा हो तो ताउम्र उनकी खुशियों की दुआ दो। दुआ करो जाने अनजाने किसी का दिल ना दुखा हो गर दुःखा हो तो ताउम्र उनकी खुशियों क...