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Share with friendsहर रात के बाद सवेरा है, फिर क्यों मन को शंकाओं ने घेरा है? यह सब वक्त का ही तकाज़ा है, मन ने मन को ही घेरा है। नूतन गर्ग
हर रात के बाद सवेरा है, फिर क्यों मन को शंकाओं ने घेरा है? यह सब वक्त का ही तकाज़ा है, मन ने मन को ही घेरा है।
‘चाकलेट बहुत भाती है पर! सीमित मात्रा में ली जाय तभी फ़ायदा करती है, वरना नुक़सान पहुँचाती है।’ नूतन गर्ग
‘प्रपोज़ डे में क्या रखा है? खुद को रोज़ अच्छे कामों के लिए प्रपोज़ करो, तो जीवन सफल बन जाएगा।’ नूतन गर्ग
‘चाहे रास्ते कितने काँटों भरे क्यों न हों, अगर आपमें साहस है तो आप गुलाब की तरह एक दिन ज़रूर महकेंगे।’ नूतन गर्ग
“किसी की चुग़ली करना या सुनना, बुरी आदत है ये। इस आदत को बदल डालो, वरना एक दिन आएगा जब आप भी इसी श्रेणी में आ जाएँगे।” नूतन गर्ग
“यदि डर कर भागोगे तो वह आपके पीछे-पीछे आएगा और यदि उसको घूर दोगे तो वह खुद डर जाएगा, इसलिए डर से डरना मना है।” नूतन गर्ग