रचना शर्मा "राही"
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'विचारों' के 'कारवां' को 'शब्दों' में ढालती "राही" शिक्षा - स्नाकोत्तर , शिक्षा स्नातक (संस्कृत) व्यवसाय - प्रवक्ता संस्कृत गद्य, पद्य व मुक्तक विधा में लेखन । पुरस्कार व सम्मान - रूबरू मंच द्वारा कविता व कहानी विधा में साहित्य श्री सम्मान । प्रितिलीपी पर पाठकों की पसंद में चयन कहानी विधा में... Read more

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ज़िन्दगी में कशमकश चल रही है, उलझे सुलझे ख्यालात ये बुन रही है। है आंसुओं का समंदर आंखों में, और होठों पर मुस्कान बिखर रही है। दिल में उमड़ रहे हैं जज़्बात, पर कलम भी बगावत कर रही है। है मंज़िल को पाने की हसरत, पर जाने क्यूं राह भटक रही है। क़दम आगे ही आगे बढ़ रहे हैं, और सांसें अब थमने लगीं हैं । आंखें वर्षों के ख़्वाब सजाएं, लम्हों में ज़िन्दगी सिमट रही है

जिंदगी एक क़िताब है इत्मीनान से पढिए हर पन्ने की अलग कहानी अश्कों से गीला कोई पन्ना किसी में खुशियों की रवानी प्यारे लम्हों का ज़िक्र कहीं, कहीं उलझने पुरानी असफलता के कुछ पल, कहीं सफलता की कहानी पिता की परस्ती का सुख, कहीं मां की ममता सुहानी ।। -रचना शर्मा "राही"

यादों का सफ़र है दिल का है कारवां चाहतों की मंज़िल हर पल है खुशनुमा सुहाना है ये सफ़र उम्र हो रही है जवां रचना शर्मा "राही"

जब हम चल पड़े हैं सफ़र पर तो मंज़िल भी मिल ही जायेगी दिल लगा लिया है उनसे उनको भी हमारी चाहत नज़र आयेगी रचना शर्मा "राही"

सफ़र और भी हसीन हो जाता है जब हमसफर साथ हो हमनवां हमकदम से रूहानी बात हो रचना शर्मा "राही"

सफ़र में चलते चलते कभी कुछ मुकाम आते हैं कभी यादें कभी बातें कभी पैगाम आते हैं भूलना चाहें हम जिन लम्हों को याद वही सुबह शाम आते हैं -रचना शर्मा राही

जिंदगी का सफर हो सकता है आसान चिंताओं की गठरियां अगर उतार दे इंसान -रचना शर्मा राही

मंज़िल भी मिल ही जायेगी अभी तो हम सफ़र में हैं चलते चले जा रहें हैं हम सबसे बेखबर हैं - रचना शर्मा "राही"

तन्हा मुसाफ़िर हूं तन्हा सफ़र है, जाने क्या होगा मेरी मंज़िल किधर है। ये रिश्ते ये नाते ये रोज़ की बातें, भीड़ में भी तन्हा ये शामों शहर है। ख़ामोश आहटें हमें ही पुकारें, दिल अपना पर इस सबसे बेखबर है। मुखातिब हुए हम ख़ुद से जब से, ढूंढती फिरती हमें हर नज़र है। ख़ुदा ने मुझे यूं मुझ से मिलाया, उसकी रहमत का ये कैसा असर है।। रचना शर्मा "राही"


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