“
ज़िन्दगी में कशमकश चल रही है,
उलझे सुलझे ख्यालात ये बुन रही है।
है आंसुओं का समंदर आंखों में,
और होठों पर मुस्कान बिखर रही है।
दिल में उमड़ रहे हैं जज़्बात,
पर कलम भी बगावत कर रही है।
है मंज़िल को पाने की हसरत,
पर जाने क्यूं राह भटक रही है।
क़दम आगे ही आगे बढ़ रहे हैं,
और सांसें अब थमने लगीं हैं ।
आंखें वर्षों के ख़्वाब सजाएं,
लम्हों में ज़िन्दगी सिमट रही है
”