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घोर पश्चाताप के दो बूंद आँसू उनकी आँखों से ढुलक पड़े थे। घोर पश्चाताप के दो बूंद आँसू उनकी आँखों से ढुलक पड़े थे।
उस दिन शनिवार का अवकाश था। अलसायी सी दूर्वा सुबह सवेरे कॉफ़ी के घूंट ले रही थी कि मृगांक का फ़ोन आया ,... उस दिन शनिवार का अवकाश था। अलसायी सी दूर्वा सुबह सवेरे कॉफ़ी के घूंट ले रही थी कि...
यह बाबूजी का दुर्भाग्य ही था कि जिन व्यक्तिगत मान्यताओं तथा मानदंडों की वजह से सामाजिक दायरों में उन... यह बाबूजी का दुर्भाग्य ही था कि जिन व्यक्तिगत मान्यताओं तथा मानदंडों की वजह से स...
यह सब देख सुन दूर्वा इतनी अचंभित हो गई थी कि वह बुत सी बन गई थी। सब कुछ इतनी जल्दी हो गया था वह कुछ ... यह सब देख सुन दूर्वा इतनी अचंभित हो गई थी कि वह बुत सी बन गई थी। सब कुछ इतनी जल्...
अपने बनाये मापदंड पर जीने वाले पूरी ज़िन्दगी संघर्ष करते हैं,उन्हें अपने भी कहाँ समझ पाते हैं हैं ? अपने बनाये मापदंड पर जीने वाले पूरी ज़िन्दगी संघर्ष करते हैं,उन्हें अपने भी कहा...