खुद की तलाश में मैं इक सफर पे हूँ, मुश्किल है जिसपे चलना ऐसी डगर पे हूँ, मंजिल जो मिले तो बता सकूंगी मैं, कौन हूँ कहाँ से और किस जगह पे हूँ । (TGT-Sanskrit at Kendriya Vidyalaya, Patna)
Share with friendsनई डगर नया सफर नई जो शुरुआत हो जिंदगी के खेल में नई अगर बिसात हो तो उदासियों का खौफ क्या न गमों की कोई रात हो फिर जिंदगी ये जश्न हो नायाब इक सौगात हो
पिता का प्रेम है मधुर सरस जो मन में भरे उमंग माँ की ममता पानी जैसी स्वाद न कोई रंग जैसे जल बिन जीवन नाहीं मीन हो या मतंग वैसे माँ के बिन है जीवन जैसे कटी पतंग
हर डोर से मजबूत है, जो डोर है विवाह की नहीं तोड़ने की सोचना, यह शपथ है निर्वाह की समय संग बढ़ती निरन्तर, गहराई इसमें चाह की दु:खों की धूप जो मिटा दे, वह छाँव है यह राह की