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कभी शरद पूनम की उजियार सी तो कभी उष्ण अंगार सी धधकती जाती है, ज़िन्दगी तू कभी शरद पूनम की उजियार सी तो कभी उष्ण अंगार सी धधकती जाती है, ज़िन्दगी तू