कुछ अधूरे ख़्वाब ज़िंदगी को मुकम्मल जीने नहीं देते और कुछ मोहब्बतें ज़िंदगी होती हैं मग़र, ज़िंदगी भर के लिए साथ नहीं होतीं।
न जाने क्यों लोगों को ऐसा लगता है कि अगर हम किसी दूसरे की रचना की प्रशंसा करेंगे तो शायद ये उनके खुद के लिए ठीक नहीं होगा। इसी वजह से शायद ज्यादातर रचनाओं में एक ही लाइक नजर आता है, वो भी रचनाकार का खुद का लाइक होता है।
कभी कभी ऐसा लगता है मानो, अगर ये चीज मुझे अच्छे परिणाम नहीं दे सकती तो फिर क्यों ना एक नया रास्ता पकड़ लिया जाए।
नजरों की अदला बदली होती रहे, रूह मेरी तुझमें कहीं खोती रहे, बढ़ता ही रहे ये इश्क का सिलसिला आहिस्ता आहिस्ता, तकरार की बदौलत ही सही मगर, ये मुलाकात होती रहे।
हम ज़िंदगी में चाहे जितना भी रास्ता तय कर लें, लेकिन फिर दोबारा किसी न किसी मोड़ पर वो शक्स ज़रूर याद आता है, जिसको आपने बहुत चाहा हो और फिर वो कभी हासिल ही न हुआ हो। इस एक हसरत का आंचल आंखों को इस तरह से ढक देता है मानो जैसे अब ज़िंदगी से कोई और ख्वाइश बाकी न हो। इसीलिए बातें सब से हों बस जज़्बात किसी से भी जाहिर न हों तो अच्छा है। कुछ बातें लाख चाहने पर भी दिल से नहीं निकलती।
मेरी जिंदगी की सबसे बड़ी गलती थी, लोगों पर आंख मूंदकर भरोसा करना। जिसका खमियाज़ा, मैं आज भी भुगत रही हूं।