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सहने की क्षमता पत्थर तक। सहने की क्षमता पत्थर तक।
कहने को तुमसे, खुली किताब हूं मैं, फिर भी हर पन्ने में उलझा, एक सवाल हूं मैं, कहने को तुमसे, खुली किताब हूं मैं, फिर भी हर पन्ने में उलझा, एक सवाल हूं मैं,