यूँ ग़ज़लें लिख लिख कर, अपनी तस्वीर तगाती हो तस्वीर पे ग़ज़ल लिख देंगे, हमारे ज़जबात जगाती हो। तस्वीर असली है या फिर अपना रूप छिपाती हो हम लिखना भूल चुके है, फिर नज़रों से क्यों सिखाती हो। रहीम " नादान"
यूँ ग़ज़लें लिख लिख कर, अपनी तस्वीर तगाती हो तस्वीर पे ग़ज़ल लिख देंगे, हमारे ज़जबात जगाती हो। तस्वीर असली है या फिर अपना रूप छिपाती हो हम लिखना भूल चुके है, फिर नज़रों से क्यों सिखाती हो। रहीम " नादान"
जुलेखा ना बन ; कोई युसफ कहाँ है इस जमाने में जिस्म की हवस में रूह जलाए जाते हैं इस जमाने में। रहीम "नादान"
जुलेखा ना बन ; कोई युसफ कहाँ है इस जमाने में जिस्म की हवस में रूह जलाए जाते हैं इस जमाने में। रहीम "नादान"
चाँद अपनी राह भटक जाएगा ; यों सितारे चहरे पे सजा के चला ना करो। जान ले लोगी किसी मरीजे हुशन का ; यों बदन हिला के चला ना करो। नादान