STORYMIRROR

यूँ ग़ज़लें...

यूँ ग़ज़लें लिख लिख कर, अपनी तस्वीर तगाती हो तस्वीर पे ग़ज़ल लिख देंगे, हमारे ज़जबात जगाती हो। तस्वीर असली है या फिर अपना रूप छिपाती हो हम लिखना भूल चुके है, फिर नज़रों से क्यों सिखाती हो। रहीम " नादान"

By Rahim Khan
 365


More hindi quote from Rahim Khan
30 Likes   0 Comments
14 Likes   0 Comments
16 Likes   0 Comments
23 Likes   0 Comments
28 Likes   0 Comments