ज़िन्दगी की कश्मकश से..रोज लड़ के रोज भिड़ के..राह एक निकाली मैंने...एहसासों के साए से...!
आफिस के बाहर गाड़ी से उतरते ही एक अनियंत्रित ट्रक नें रौंद दिया विशाखा को… आफिस के बाहर गाड़ी से उतरते ही एक अनियंत्रित ट्रक नें रौंद दिया विशाखा को…
दुविधा की बदली छट चुकी थी। निश्चिंतता की चादर में दोनों के दिल एक हो चुके थे। दुविधा की बदली छट चुकी थी। निश्चिंतता की चादर में दोनों के दिल एक हो चुके थे।