Vikrant Kumar
Literary Colonel
AUTHOR OF THE YEAR 2021 - NOMINEE

50
Posts
41
Followers
26
Following

Special Teacher Education dpt. Rajasthan mail-a.vikrant29@gmail.com

Share with friends
Earned badges
See all

तुम क्या हो? तुम जानते हो। तुम क्या हो? तुम जानते हो। लेकिन मुझसे बेहतर नहीं जानते!!!

रंग सुर्ख होना चाहिए, चाय हो या फिर इश्क।

अजीब सी कसमसाहट है इन दिनों, अजीब सी कसमसाहट है इन दिनों... वो जो सांस भी ना लेते थे मेरे बिना, बिन बात किये जी रहे है इन दिनों।

ये श्यामें सिन्दूरी, तेरी मेरी ये दूरी। कब बैठे यूँ पास पास, कब होंगी हसरतें ये पूरी। मिलके भी यूँ मिल ना सके, हाय ये कैसी मजबूरी। ये श्यामें सिन्दूरी, तेरी मेरी ये दूरी...

सफर बचपन से पचपन का, कुछ यूं बीता जनाब। मिल गए मिट्टी में, देखे थे जो जवां उम्र में ख्वाब।

उम्र को जी कर भी, जीवन जिया नहीं उसने। सब कुछ सह कर भी, उफ्फ तक किया नहीं उसने। किस्सा दर्द का था कुछ ऐसा, कि सुनकर कलम भी रो पड़ी। जमाना जान गया सब। लेकिन अंजान रहा वो हमदर्द होने का वादा किया जिसने। 🖋️ विक्रांत

नीले आकाश में लालिमा लिए ढ़लती सुंदर साँझ का इशारा समझो। कर्म से करें करनी कुछ उत्कर्ष ऐसी, ढ़लते जीवन की साँझ भी सुहानी हो जाए।

सांस लेना ही जीवित होने का प्रमाण नहीं, जीवित वो है जिसका स्वाभिमान जिंदा है। 🖋️ विक्रांत


Feed

Library

Write

Notification
Profile