Mayank Verma
Literary Colonel
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Mayank Verma निमिशाम्

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07 Jan 2002-16 Dec 2022 A beginning has come to culmination. A journey has come to an end. 20 glorious years of a professional life, service to the nation or a career, l don't need to explain.. But a journey filled with challenges and adventures. Places never heard. Weather ranging from -25 deg C to extreme heat 🔥. Terrains of snow ❄️ to desert. Working with personnel from Kashmir to Kanyakumari.

ये कहां रंगों, तारीखों में बंधता है, कब ज़रूरत के वक्त ही उमड़ता है। ये वतन परस्ती का जज़्बा है, रगों में दौड़ता है, दिल में धड़कता है। -निमिशाम्

कैसे गिनाऊं मैं खामियां तेरी, मेरी खामियों की किताब खाली है अभी। लिखूंगा जब तलक रंग नीला ना हो जाए, मेरी कलम की स्याही काली है अभी।

Everyday I go to Gym.. To prove my body.. "You are a Liar" Just to do what it said "I can't do it.."

यूं ही नहीं गुमान मुझे अपनी मोहब्बत पर, कोई मुझसा दीवाना मिले तो फ़िर जुस्तजू करो।

कर कोशिशें मेरा इम्तिहान लेने की, डूबकर उबरने में महारत है मेरी।

ऐ ज़िंदगी तेरे साथ कितने दरिया किए पार, डूबे गहराइयों में, कभी साहिल से टकराए। बस इतनी आरज़ू पूरी कर दे मेरी इस बार, गर भर आए आंख तो होंठ भी मुस्कुराए। -निमिशाम्

रस्मों, रिवाज़ों की बंदिशों को तोड़ कर, गुज़रे वक्त की यादों का दामन छोड़ कर। समा जाओ बाहों में मेरी, नई शुरुआत हो, अपनी सांसों को मेरी धड़कनों से जोड़ कर। -निमिशाम्

तन्हाई की दुआ मांगने वाले, तन्हाई का दर्द किसी तन्हा से पूछो। यही दुआ है तेरी, तो मेरी भी यही दुआ है, जा तेरी दुआ कुबूल हो। -निमिशाम्


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