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ये कहां...

ये कहां रंगों, तारीखों में बंधता है, कब ज़रूरत के वक्त ही उमड़ता है। ये वतन परस्ती का जज़्बा है, रगों में दौड़ता है, दिल में धड़कता है। -निमिशाम्

By Mayank Verma
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