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रस्मों,...

रस्मों, रिवाज़ों की बंदिशों को तोड़ कर, गुज़रे वक्त की यादों का दामन छोड़ कर। समा जाओ बाहों में मेरी, नई शुरुआत हो, अपनी सांसों को मेरी धड़कनों से जोड़ कर। -निमिशाम्

By Mayank Verma
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