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तुम बिल्कुल नहीं बदली। आज भी बिल्कुल वैसी ही हो। सादा, मासूम और शुक्रगुज़ार तुम बिल्कुल नहीं बदली। आज भी बिल्कुल वैसी ही हो। सादा, मासूम और शुक्रगुज़ार
दूर, कहीं किसी दूसरे शहर में आरिफ़ ने फिर आरफ़ा की सलामती की दुआयें मांगी। दूर, कहीं किसी दूसरे शहर में आरिफ़ ने फिर आरफ़ा की सलामती की दुआयें मांगी।