कवि हूँ मैं
मगर उस डर का क्या जो अंदर घर करे है बैठा है मगर उस डर का क्या जो अंदर घर करे है बैठा है
वो रात भी क्या अजीब थी, किसी को भी हया थी ना तहज़ीब थी।वो लड़की सड़क पे पड़ी थी, मूकदर्शको की टोली स... वो रात भी क्या अजीब थी, किसी को भी हया थी ना तहज़ीब थी।वो लड़की सड़क पे पड़ी थी,...