झगड़े किस रिश्ते में नही होते? तब पति- पत्नी के झगड़े का अंजाम तलाक़ ही क्यों होता है?
ग़ैरों के मुखौटे क्यों ?तुम अपने आपको ही क्यों नहीं देखते ?
आईने में ,हर दिन, एक नया चेहरा नजर आता है।
जब मन में विचार और भाव श्रेष्ठ होते हैं, तो व्यवहार स्वत ही श्रेष्ठ होने लगता है।
उम्र , के साथ अनुभव भी बढते जाते हैं, और इंसान बिन कहे ही, बहुत कुछ समझने लगता है।
जब मन में विचार और भाव श्रेष्ठ होते हैं, तो व्यवहार स्वत ही श्रेष्ठ होने लगता है।
ज़िंदगी को उलझन बनाओगे, तो उलझनें बढ़ती जायेंगी। समय रहते ही उन उलझनों को सुलझाने में ही लाभ है।
दर्द और खुशी जब हद से गुजर जायें तो उनका वजन आँखें भी नहीं झेल पातीं, आँसू बन बाहर आ ही जाते हैं।
इंसान बुरा नही होता, उसकी सोच! उसका व्यवहार बुरा होता है।
आजकल गैर को अपना, खुश हो लेते हैं। अपने तो अपनी सच्चाई जानते हैं।