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Share with friendsअपने मन के विचारों को शुद्ध करें, सोच श्रेष्ठ रखें, तब कहीं भी इधर- उधर भटकने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
अपने मन के विचारों को शुद्ध करें, सोच श्रेष्ठ रखें, तब कहीं भी इधर- उधर भटकने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
हम अपने आप को कितना बांटते जा रहे हैं? पहले धर्म और जाति के नाम पर, अमीरी- गरीबी में बाँटा, उसके पार्टियों या रोजगार के कारण बन्टे हम स्वयम ही अपने दुश्मन बने हुए हैं।