Alpana Harsh
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मैं अल्पना रंग बिखेरती आंगन की शोभा सी ,मेरे साधारण शब्दकोष में नये शब्दों को जोड़ने की जुगत में एक गृहणी जो बहुत बडी़ दुनियां में अपना अस्तित्व तलाशती रहती है

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चुरा लाई हूँ फिर वक्त से कुछ यादें बचपन की यादें फिर हावी है आज। अल्पना हर्ष

चुरा लाई हूँ फिर वक्त से कुछ यादें बचपन की यादें फिर हावी है आज। अल्पना हर्ष

छिन लाई हूँ यादों से ,बचपन के कुछ कागजात वो दौर भी उम्र के कुछ और ही हुआ करते थे। अल्पना हर्ष

कुछ फुर्सतें खरीदनी है क्या गिरवी रखूं ऐ वक्त । अल्पना हर्ष

कितने सवाल खडे़ है अब भी जवाबों ने ही मुंहफेर लिया है शायद तुम्हारी तरह। अल्पना हर्ष

फिर खडी़ हूँ जिन्दगी के दौराहे पे यूं अपनों से रूठकर हमेशा के लिये जाया नहीं करते । अल्पना हर्ष


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