जाओ दोस्तों कभी फ़ुरसत में क़ब्रिस्तान की सैर कर आओ । इन तन्हाइयों में क्या रखा है;अपना आशियाना ही घूम आओ ।।
पाते हैं किनारा, मगर कहीं पहुँच नहीं पाते हैं। पाते हैं किनारा, मगर कहीं पहुँच नहीं पाते हैं।
या इस भाग दौड़ में तुम यूं ही कहीं खो जाना चाहते हो ? ... या इस भाग दौड़ में तुम यूं ही कहीं खो जाना चाहते हो ? ...