सफल शर्मा
Literary Colonel
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नाम : घनश्याम शर्मा पिताजी: - श्री श्रीराम शर्मा माताजी: - 'माँ' श्रीमती सुरेश देवी जन्म स्थान : गाँव- ब्राह्मणवास नौ, जिला - महेन्द्रगढ़(हरियाणा) निवास स्थान :- पिलानी, राजस्थान। शिक्षा - एम.ए.(हिंदी, समाज शास्त्र , शिक्षा), बी.एड., एमबीए(ए), आरएससीआईटी, सीटैट, रीट, एचटैट टीजीटी(दो बार),... Read more

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अगर हो आग सीने में , मज़ा तब ही तो जीने में । यदि तू डर को पाले है , तो ज़िंदा है कहाँ से तू।। तुझे ना न्याय दिखता है .. ना दिखती सादगी तुझको , यदि सच बात ना बोले है .. तो ज़िंदा है कहाँ से तू ।। —घनश्याम शर्मा

ख़ुद को गर ना पहचाना तो कुछ भी कर ना पाएगा । अपनी और अपनों की यारा , पीड़ा हर ना पाएगा । मानव का जो तन है पाया , सबसे अच्छा अवसर है , ख़ाली-ख़ाली जीवन होगा .. और मर भी ना पाएगा ।। —घनश्याम शर्मा

सूरज मुझमें डूबा है तो ... मुझसे ही निकलेगा भी । उम्मीदों को पंख लगेंगे ... मौन व्यथा ये बोलेगी । नैया पार लगेगी निश्चित ... इतना भी है मुझे पता , द्वार सफलता के अब सारे ... करुण-कथा ही खोलेगी। __घनश्याम शर्मा

उसको तो मालूम नहीं था ..मैं भी तो अनजाना था। बस जो दर्द उसे होता था .. मेरा जाना जाना था। मैं संघर्षों का राही ...जन्मा तब से ही हूँ यारों , इसीलिए हर संघर्षी को ...मैंने अपना माना था। _घनश्याम शर्मा

वो मुझमें है समाया , जग जिसे भगवान कहता है । वो मेरा है हमसाया, जिसका सब गुणगान रहता है। बिना इच्छा से जिसकी, कण भी कोई हिल नहीं सकता , वही मुझको है भाया , मेरे मन उसका ही बस भान बहता है ।।।। _ घनश्याम शर्मा

सूरज मुझमें डूबा है तो ... मुझसे ही निकलेगा भी । उम्मीदों को पंख लगेंगे ... मौन व्यथा ये बोलेगी। नैया पार लगेगी निश्चित ... इतना भी है मुझे पता , द्वार सफलता के अब सारे ... करुण-कथा ही खोलेगी ।।।।

आँखें भर आईं सर ... मेरे ज़ख़्मों और उपलब्धियों के गुमान में था । सच कहूँ तो मैं यूँ ही सातवें आसमान में था । पढ़कर आपकी संघर्षों-सफलता की दास्ताँ... जान गया कि मैं अब तलक झूठे अभिमान में था ... —घनश्याम शर्मा

आँखें भर आईं सर ... मेरे ज़ख़्मों और उपलब्धियों के गुमान में था । सच कहूँ तो मैं यूँ ही सातवें आसमान में था । पढ़कर आपकी संघर्षों-सफलता की दास्ताँ... जान गया कि मैं अब तलक झूठे अभिमान में था ... — घनश्याम शर्मा

जब बात देश की होती है , निज स्वार्थ की होली जलाता हूँ। अश्फ़ाक , भगत , बिस्मिल-आज़ाद , वीरों को हृदय में पाता हू जो काम देश के आते हैं , उनके चरणों की धूल सदा , निज जीवन तन-मन - धन, सपनों , परिवार से पहले लाता हूँ... — घनश्याम शर्मा


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