I'm shashi and I love to read StoryMirror contents.
क्यों फिर रखते दरकार बाती दिया बिन बेकार क्यों फिर रखते दरकार बाती दिया बिन बेकार
मंज़िल है कहीं और उसूल मेरे कम नहीं मंज़िल है कहीं और उसूल मेरे कम नहीं
प्यार था सौदा नहीं प्यार था सौदा नहीं
मिले थे जिस ख़याल से फिर वो ख़याल लें चले मिले थे जिस ख़याल से फिर वो ख़याल लें चले