तुम दिवाली में दीपक बन
जग का तम मिटा दो
मैं होली में गुलाल बनकर
बिछड़े हृदय मिला दू
कहीं उड़ रहा है गुलाल
तो कहीं रंग बरस रहे हैं
पर आज भी मेरा दिल
तेरी याद में तरस रहे हैं
तुम एक दारू कि जाम हो
जो सबको मदहोश के देती हो
रूप जैसे पूर्णिमा की चांद हो
सभी को शीतल कर देती हो।
निराशा भरी तम सा जीवन को
आकर भरता प्रकाश खुशी का
दिशाहीन को वो राह दिखलाते
उससे ही बढ़ता पहिया सृष्टि का
तुझे इतना प्यार करता हूँ कि ताजमहल तो नहीं पर रामसेतु जरूर बना दूंगा।
आज का प्यार चाकलेट सी सस्ती हो गयी
है जिसे कोई भी खरीद लेता है।
मेरी जिंदगी जलती सिगरेट सी हो गयी है
जिसे कोई भी पी कर
नाली में फेंक दे रहा है।
माना कि चॉकलेट मीठा है
पर तुम्हारे होंठ से
ज्यादा नही।
फिर आया है फरवरी का महीना
प्यार का पखवाड़ा साथ आया है।
कई लड़के ढूंढते है अपना हसीना
प्यार के फूल गुलाब साथ लाया है