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अंधेरे क्या प्रभात को रोक पाते हैं खुशियों के मंजर लौटकर जल्द जाते हैं। अंधेरे क्या प्रभात को रोक पाते हैं खुशियों के मंजर लौटकर जल्द जाते हैं।