Shah Talib Ahmed
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Lack of faith in people Turned a very talkative boy into a writer , Now my expressions are enough to impress them

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सर्द کی Dhoop ख़ुशनसीब है ये धूप जो ज़ुल्फो से छन कर तेरे रुख्सार को छू जाती है। हसद है मुझे इससे हम तो तेरे अक्स तक भी नही पहुँच पाते है। Shah Talib Ahmed

लम्हा था सफ़र हो गया। अजीज़ वो मुझे इस क़दर हो गया। लबों पर आया जो नाम तेरा। लगता है उसी का असर हो गया। इत्मिनान का वो शज़र हो गया। जब करीब से आपका गुज़र हो गया । वो अनजान शक़्स। अजीज़ मुझे इस क़दर हो गया । Shah Talib Ahmed

सर्द । दर्द। और दिसंबर का दगा । ठिठुरती साँसे। तकलीफदेह यादें। और मेरा यार बेवफ़ा । Shah Talib Ahmed

तू ही ज़िन्दगी का सहारा है। वार्ना इतने फासले होने के बावजूद। कैसे तू मेरा साया । और मेरा वजूद तुम्हारा है। Shah Talib Ahmed

उन्हें तो क़त्ल भी करना है। मुज़रिम भी नहीं कहलाना है। उन्हें ग़लत ना कहो वो ख़ूबसूरत है अग़र कोई ग़लत है तो वो ये ज़माना है। Shah Talib Ahmed

उनसे मुख़ातिब होते वक़्त क़लम भी साथ रखता हूँ। नाफ़रमानी ना हो जाये उनके हर हुक्म को दरयाफ़्त रखता हूँ। उन्हें लगता है भूल जाता हू में । कोई बताओ उन्हें उनको ज़ेहन में हर लम्हा साथ साथ रखता हूँ। शाह तालिब

और क्या बताऊँ। कितना तड़प रहा है। ये दिल टूट कर भी उनके लिए धड़क रहा है। Shah Talib Ahmed

वो बचपना तो बचपन से पहले ही रूठ गया । पहले पढ़ाई फिर कमाई के वजह से मेरा अपनो से रिश्ता तो हैं और रहेगा पर साथ छूट गया । काश वो बचपन फिर से लौट आये । एक आगंन में रहे हम सब , फिर चाहे ज़माने से रिश्ता क्यों ना टूट जाये ।


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