भावुक हूँ। भाव का अतिरेक अक्सर काव्य या कथा का रूप ले लेता है।
गर हाथ हटा लो चेहरे से, एक चाँद निकल आए पल में। मेरे मन के तार मचल जाएँ, बस आग ही गर हाथ हटा लो चेहरे से, एक चाँद निकल आए पल में। मेरे मन के तार मचल जाए...