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कलुषित गरल मिले तो, चुपचाप पान करती। ग़म के मिले समंदर, मोती जहान भरती। कलुषित गरल मिले तो, चुपचाप पान करती। ग़म के मिले समंदर, मोती जहान भरती।
दुखों की हो नहीं छाया दिखे आलोक धरती पर, प्रबल हो तमस का आकार तो स्त्री दीप बन जाती। दुखों की हो नहीं छाया दिखे आलोक धरती पर, प्रबल हो तमस का आकार तो स्त्री दीप बन ...