कुछ तो है हमारे बीच जो यह जीवन साझा हुआ, कुछ तो हुआ है अभी हमारे बीच जो सब कुछ पूरा होके भी आधा हुआ, अंगड़ाइयों में अभी नींद बाकि है तुझसे मिल तो चुका हूँ कई बार, पर तेरे ज़हन से लगता है मिलना अभी बाकि है | लेखक :नितिन शर्मा
ख्वाहिशों भरे बस्ते को जब कंधों से उतारा, नदी किनारे बैठ सूरज की परछाई को तब घंटो तलक निहारा, हल्का लगा जीवन यह, जब ख़ुद को इस अन्तर्द्वन्द से उभारा| लेखक :नितिन शर्मा
वक़्त मसरूफ़ रहा मुझे आज़माने में, मैं ख़ामोश रहा सब जान कर भी अनजाने में, सफर दर सफर शाम ढलती रही शब के आने में, वो रूठती रही, मैं मनाता रहा उसे हर पल के जाने में...... लेखक:नितिन शर्मा
अभी थोड़ा सह लेगी, तो आगे निकल जाएगी, झुमके में आज़ादी ढूंढेगी तो, चाँद पर कैसे जाएगी..... लेखक :नितिन शर्मा