@utkarsh-srivastava

Utkarsh Srivastava
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मै एक लेखक और लयबद्ध कवि हूं। मुझे बचपन से ही लेखनी का शौक रहा है। मुझे विभिन्न विधाओं में लिखने में रुचि है। मै साहित्य संगम संस्थान और साहित्य सागर संस्थान की तरफ से कई बार श्रेष्ठ लेखक का खिताब जीत चुका हूं। मुझे दैनिक जागरण की तरफ से युवा संपादक का खिताब भी हासिल है। मै इस मंच के माध्यम से... Read more

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शिक्षा समाज का विस्तार है शिक्षा से जीवन उद्धार है शिक्षित सामाजिक चेतना है शिक्षा से युग का प्रसार है।

शिक्षा से मानव जीवन शालीन बनता है। शिक्षित पुरुष बेहद महीन(गहरा) बनता है बिना शिक्षा कुछ भी मुमकिन नहीं अनपढ़ सदैव दीन हीन बनता है।

उम्मीद है इस दिल को फिर इंसान से निकाल लेगा हमको इस वीरान से मानते हम मर चुके होंगे मगर खेल लेंगा वो हमारी जान से।

क्यों किया मुझको अकेला इस जमाने में क्या खता हुई मुझसे तेरा जग सजाने में मै धूप और आंधी में तुझको बचाने में क्या मिला इंसान तुझको दूर जाने में।

क्यों अकेला कर दिया मुझको जमाने में क्या खता हुई मुझसे तेरा जग सजाने में धूप और आंधी से तुझको बचाने में क्या मिलाइंसं तुझको दूर जाने में

धरती का सूनापन मुझको सताए एकाकीपन है तनिक ना लुभाए इमारतों में बसे अब तो इंसान जों हमसे ही अपना जीवन जी पाए।

दूर तलक सफर इरादे बलवान उमंगे जवान हथेली में जान पथ है कई मकसद वीरान मंजिल जब खुद की तो मुश्किल आसान

पंखों को थोड़ा फैलाने तो दो अंबर को धरती बनाने तो दो निकलेंगे तो हम ठहरेंगे नहीं पथ को जरा संभल जाने तो दो

चादरों से निकल चांद कि खोज में हौसलों बलवान उम्मीदें ओज में मन में धधकती मेहनत की गर्मी ख़्वाब है या कोई ख्वाहिश है रोज में।


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