Ruchika Rana
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MA in English MA in pol. science A passionate teacher by profession and a skilled home maker,fond of reading and writing. Anything that can make me thinking about that can inspire me to write

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मेरा अस्तित्व, मेरी पहचान है मां... ईश्वर का सर्वश्रेष्ठ वरदान है मां! धरती है, मेरा अंबर है... मेरा रब है, भगवान है मां!

मेरा अस्तित्व, मेरी पहचान है मां... ईश्वर का सर्वश्रेष्ठ वरदान है मां! धरती है, मेरा अंबर है... मेरा रब है, भगवान है मां!

मां का दामन...जैसे खुशियों की क्यारी, जिसके साए में छू हो जाती जीवन की तकलीफें सारी।

मरते-मरते एक नया जीवन पाया था.. लेकिन मेरे नन्हें के कोमल स्पर्श ने, मेरा हर दर्द मिटाया था!! स्वरचित@रुचिका

इतनी तो मेरी उम्र भी नहीं, जितना तूने सिखा दिया, ऐ जिंदगी...शायद बहुत जल्दी है तुझे, गुजर जाने की! @रुचिका

तू छिप के बैठा है कहीं, मुझे भँवरों की तरह तुझे ढूँढने की आदत है... शायद मिल जाए कहीं मेरे दिल का करार, यही सोच गुलज़ार में भटकने की आदत है! स्वरचित@रुचिका

ये सतरंगी सा जीवन, सुख दुःख के रंगों से गुलजार, आशा और निराशा से बेज़ार, कभी ठहर जाता है.... ओस की बून्दों की तरह, कभी फ़िसल जाता है... मुट्ठी से रेत की तरह!!

न दीदार होगा, न दर्द होगा.... न याद आएगी, न इजहार होगा.... बस गुजर जाएगा वक्त यूं ही.... न तुम्हें इकरार होगा, न हमें प्यार होगा....

दिल के अरमान शब्दों में ढाल दूँ...गुजरे वक्त से कुछ पन्ने निकाल लूँ...सोचती हूँ, दिल-ए-बयाँ आज लफ़्ज़ों में ढाल दूँ !!


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