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अब तक तो पुष्प ही थे जीवन के उपवन में काँटों की तो छवि भी न थी अंतर्मन में, अब तक तो पुष्प ही थे जीवन के उपवन में काँटों की तो छवि भी न थी अंतर्मन में,