दिशाहीन कश्ती ये दिशाहीन मझधार ले चली मुझ सुकुमारी को ना जाने किस पार.....!
इन दिनों नि:शब्द हूं मैं, मेरी नि:शब्दता ही मेरा मौन है। इन दिनों नि:शब्द हूं मैं, मेरी नि:शब्दता ही मेरा मौन है।