Shilpa Mahto
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बहता चला जा रहा एक सफर उन्मुक्त नदी सा बेसब्र है मिलने को समन्दर

यूँ ही नहीं जरूर तुम में कुछ तो बात होगी यूँ ही बेवजह हमारी मुलाकात तो न हुई होगी

जब चांद के इश्क़ में डूब चली थी मै सूरज ने किरणों संग इजहार कर दिया चांद की नजाकत और सूरज की शरारत लिए मैंने खुद से ही फिर मोहब्बत कर लिया

मेरी यादों की बारिश में मुझे भिंगोते मेरी पहली ख्वाहिश हो तुम दिल ढूँढता है जिस अक्स को हर एक चेहरे में मेरी वो पहली गुजारिश हो तुम मेरी जिन्दगी का पहला नशा पहला खुमार मेरा पहला प्यार हो तुम

कभी याद बन कर टकरा जाऊँ तेरे ख्यालों में बिखेर देना तुम एक फीकी मुस्कान ही सही


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