parul sharma
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writer journalist बेरंग, भारतीय नागरिक

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हाँ कह दो की अब इंतेजार न करूं मैं तुम्हारा क्योंकि यह किस्सा है काफी पुराना जब मैंने तुमको अपना था माना वक़्त बिता ,साल बीते ,दिन बीते कई लम्हें बीते लेकिन तुम आज भी न लौटे जानती हूँ साथ मुकम्मल न होगा कभी तुम्हारा हमारा लेकिन दिल तो है नादान बेचारा इसलिए अब तुम ही कह दो इंतेजार न करूं मैं तुम्हारा।

चरागों से कह दो अपनी रौशनी का घमंड दिखाएं न हमको रात ढलते ही सूरज की रौशनी में बुझा देंगे तुमको।


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