“
हाँ कह दो की अब इंतेजार न करूं मैं तुम्हारा
क्योंकि यह किस्सा है काफी पुराना
जब मैंने तुमको अपना था माना
वक़्त बिता ,साल बीते ,दिन बीते कई लम्हें बीते
लेकिन तुम आज भी न लौटे
जानती हूँ साथ मुकम्मल न होगा कभी तुम्हारा हमारा
लेकिन दिल तो है नादान बेचारा
इसलिए अब तुम ही कह दो
इंतेजार न करूं मैं तुम्हारा।
”