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Chapter 1 - Shloka 1 / अध्याय १ - श्लोक १

Chapter 1 धृतराष्ट्र उवाच धर्मक्षेत्रे कुरुक्षेत्रे समवेता युयुत्सवः। मामकाः पाण्डवाश्चैव किमकुर्वत सञ्जय ।। 1.1 ।।
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Chapter 1, Shloka 20,21,22,23 / अध्याय १ - श्लोक 20,21,22,23

अथ व्यवस्थितान् दृष्ट्वा धार्तराष्ट्

Chapter 1, Shloka 15,16,17,18,19 / अध्याय १ - श्लोक 15,16,17,18,19

पाञ्चजन्यं हृषीकेशो देवदत्तं धनंजयः।

Chapter 1, Shloka 12,13,14 / अध्याय १ - श्लोक 12,13,14

तस्य संजनयन्हर्षं कुरुवृद्धः पितामहः।

Chapter 1, Shloka 9,10,11 / अध्याय १ - श्लोक 9,10,11

अन्ये च बहवः शूरा मदर्थे त्यक्तजीविताः।

Chapter 1, Shloka 7,8 / अध्याय १ - श्लोक 7,8

अस्माकं तु विशिष्टा ये तान्निबोध द्विजोत्तम।

Chapter 1, Shloka 4,5,6 / अध्याय १ - श्लोक 4,5,6

अत्र शूरा महेष्वासा भीमार्जुनसमा युधि।

यु

Chapter 1 - Shloka 2 & 3 / अध्याय 1 - श्लोक २ एवं ३
सञ्जय उवाच दृष्ट्वा तु पाण्डवानीकं व्यूढं दुर्योधन
Chapter 1 - Shloka 1 / अध्याय १ - श्लोक १
धृतराष्ट्र उवाच धर्मक्षेत्रे कुरुक्षेत्रे समवेता य