यह दिल...

यह दिल बैरागी हो जायेगा घर घर क़ैदी हो जायेगा यह बयार जो चल निकली है इससे कहो अब रुक जाये इसकी अकड अब झुक जाये इंसान ने खो दी है इंसानियत कुछ तो यह फ़िजा ही सुकूँ पाये जो होना है वो हो कर रहेगा यह एक बंजारा कहता है कोई देखें या न देखें वो देख रहा सब मस्ती है उसके आगे किसकी क्या हस्ती है वो मालिक है! हम कुछ भी नहीं वो सब कुछ है हम कुछ भी नहीं..... आचार्य अमित

By Amit Kumar
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