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"वो...

"वो मदिरा मत पीजिए" वो मदिरा मत कीजिए, जो चढ़े मंद पड़ जाय । नाम महारस लीजिए,हो बढे और बढ़ जाय । सो बढे ओर बढ़ जाय, हो फिर हम मालामाल। तन मन एकाकार हो ,सुमरिन करे कमाल। कह 'जय' शब्द ज्ञान से, खुलेंगे नेत्र बंद जो। रैदास कृप्या भई, गोविंद मिले धनी हो वो।

By Jai Singh(Jai)
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