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वो...

वो कल्पनायें ही होंगी, जो शब्दों में कहीं लिखी गयी॥ बाद में विश्वास और आस्था बनीं॥ आज धर्म, सम्प्रदाय, मठ।… एक दूसरे से बैहतर कहने की होड़ .. फिर कभी कभी हिंसा!

By Navneet Gupta
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